मैं तुझे हार कर मेरी ऐ दोस्त, फिर कहीं दूर, बहुत दूर चला जाऊँगा...! मैं तुझे हार कर मेरी ऐ दोस्त, फिर कहीं दूर, बहुत दूर चला जाऊँगा...!
जब इतना सुकून है इस बचपन में, ना जाने हम क्यों बड़े हो जाते हैं ।। जब इतना सुकून है इस बचपन में, ना जाने हम क्यों बड़े हो जाते हैं ।।
सालों बीत गये है उनको पर आज भी मुझे याद हैं। ज़िंदगी की सारी वह खुशियां आज भी मुझे याद है। सालों बीत गये है उनको पर आज भी मुझे याद हैं। ज़िंदगी की सारी वह खुशियां आज भी मु...
मैं जब भटकूँ अंधेरों में... मैं जब भटकूँ अंधेरों में...
वो सहमी सी हंसी और आंखों में नमी शायद तुम नाराज़ थी किसी बात पर! वो सहमी सी हंसी और आंखों में नमी शायद तुम नाराज़ थी किसी बात पर!
ये मेरी कुछ बेहिसाब सी कहानी है, बहुत खामोश, पर ऐसी ही ज़िंदगानी है।। ये मेरी कुछ बेहिसाब सी कहानी है, बहुत खामोश, पर ऐसी ही ज़िंदगानी है।।